परलोक-पुनर्जन्मांक (Parlok-Punarjanm-Ank)

220.00

मनुष्यमात्र को पतनकारी आसुरी सम्पदा के दोषों से सदा दूर रहने तथा परम विशुद्ध उज्ज्वल चरित्र होकर सर्वदा सत्कर्म करते रहने की शुभ प्रेरणा के साथ इस में परलोक तथा पुनर्जन्म के रहस्यों और सिद्धान्तों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। आत्मकल्याणकामी पुरुषों तथा साधकमात्र के लिये इसका अध्ययन-अनुशीलन अति उपयोगी है।

Additional information

Dimensions 27 × 21 × 3 cm
Cover Type

Hard Bond

Language

Hindi

Writer

Geeta Press

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