भगवान से अपनापन (Bhagwan Se Apnapan)

12.00

यद्यपि हम परमात्मा के ही हैं, क्योंकि परमात्मा का अंश जीव अपने अंशी परमात्मा से अलग हो ही नहीं सकता, तथापि इस मान्यता के बिना कि हम परमात्मा के हैं, जीव परमात्मा से विमुख ही रहता है। प्रत्युत पुस्तक भगवान में निष्ठा पैदा कर साधना में तीव्रता लानेवाले स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के प्रवचनों का सुन्दर संग्रह है।

Additional information

Dimensions 21 × 14 × 1 cm
Cover Type

Hard Bond

Language

Hindi

Writer

Geeta Press

Reviews

There are no reviews yet.

Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.